नमस्कार मित्रो आज हम आपको पत्नी के अधिकार कौन कौनसे होते है इसके बारे में बताने वाले है अगर आपको इसके बारे में पता नही है की एक पत्नी के कौन कौनसे अधिकार होते है तो यह जानकारी आपके लिए बेहद ही उपयोगी साबित हो सकती है इसमें हम आपको महिलाओं ओ मिलने वाले सभी अधिकारों के बारे में विस्तृत रूप से बताने वाले है एवं इन अधिकारों का इस्तमाल कब किया जा सकता है इसके बारे में भी बताने वाले है.
हर एक महिला को अपने अधिकार पता होने बेहद ही आवश्यक है जब तक आपको अपने अधिकार पता नही होगे तब तक आप अपने अधिकारों का सही प्रकार से इस्तमाल नही कर पायेगे इसलिए आपको अपने अधिकार पता होने आवश्यक है अगर आप अपने अधिकारों को जानना चाहते है तो इसके लिए पत्नी के अधिकार कौन कौनसे है यह आर्टिकल ध्यान से पढ़े ताकि आपको पूरी जानकारी समझ में आ सके.
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पत्नी के अधिकार
पत्नी को सरकार की तरफ से कई प्रकार के अलग अलग अधिकार दिए गये है जिसमे से कुछ बड़े अधिकार है तो कुछ छोटे अधिकार होते है अगर किसी महीने के अधिकारों का हनन होता है तो इस स्थिति में वो महिला कानूनी कार्यवाही करने के लिए स्वतंत्र होती है अगर आप एक विवाहित महिला है तो आपको विवाह के बाद अन्य कई प्रकार के विशेष अधिकार भी प्राप्त होते है जो निम्न प्रकार से है.
स्त्रीधन का अधिकार
भारत की हर एक विवाहित महिला को स्त्रीधन का अधिकार प्राप्त है इसका अर्थ है की महिला को विवाह से पूर्व या विवाह के बाद जितने भी उपहार आदि मिलते है उन सभी पर उस महिला का पूरा पूरा अधिकार होगा और अगर किसी महिला को विवाह से पूर्व या विवाह के बादमे किसी भी प्रकार का धन से जुडा उपहार प्राप्त होता है तो इसके ऊपर उस स्त्री का पूरा अधिकार होगा एवं उस उपहार पर उस महिला के पति या उसके ससुराल वालो का कोई भी अधिकार नही होगा.
पति के घर पर रहने का अधिकार
विवाह के बाद महिला को उसके पति के साथ रहने का और उसके घर पर रहने का पूरा अधिकार होता है अगर पति किराए के घर में रहता हो या चाहे पूर्वजो के घर पर रहता हो जहां भी उस महिला का पति निवास करता है वही पर उस महिला को निवास करने का पूरा अधिकार है एवं अगर कोई पति अन्य शहर में कार्य करता है या व्यापार आदि करता है तो महिला अपने पति के साथ उस दुसरे शहर में भी रह सकती है.
पति के साथ रिश्ते का अधिकार
जब महिला का विवाह हो जाता है तो इसके बाद उस महिला को पति के साथ रहने का और अपने पति के साथ आजीवन रिश्ता रखने का अधिकार होता है अगर विवाहित महिला का तलाक नही हुआ है तब तक वो महिला या उसका पति किसी भी प्रकार से दूसरा विवाह नही कर सकते एवं जब तक महिला जीवित है तब तक उसका स्थान उसका पति अन्य किसी भी महिला को नही दे सकता.
किसी भी महिला का पति विवाह के बाद अन्य महिलाओं के साथ गलत सम्बन्ध रखता है तो यह गैरकानूनी माना जायेगा एवं इस स्थिति में उस पति को क़ानूनी सजा भी हो सकती है अगर कोई महिला अपने पति के साथ खुश नहीं है तो वो कोर्ट में तलाक के लिए भी आवेदन कर सकती है महिलाओं को कोर्ट के द्वारा कानूनी रूप से तकाल लेने का भी अधिकार होता है.
आत्मसम्मान और गरिमा के साथ जीने का अधिकार
विवाह के बाद महिला को अपने ससुस्रात में पुरे आत्मसम्मान और गरिमा के साथ जीने का अधिकार होता है जिस प्रकार से परिवार के अन्य सदस्यों को सम्मान दिया जाता है ठीक वैसे ही उस महिला को भी सम्मान दिया जाना चाहिए एवं किसी भी रूप से उस महिला का पति या उसके परिवार वाले उस महिला को मानसिक या शारीरिक यातना नही दे सकते.
अगर किसी भी महिला का पति या उसके परिवार वाले उस महिला को शारीरिक यातना देते है या परेशान करते है तो इस स्थिति में वो महिला कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकती है एवं इसके खिलाफ कानूनी कार्यवाही कर सकती है इसके बाद जो व्यक्ति उस महिला को शारीरिक या मानसिक यातना दे रहा है उस व्यक्ति के खिलाफ कानूनी कार्यवाही की जाएगी और उसे उपयुक्त सजा दी जाएगी.
अपना सरनाम रखने का अधिकार
जब महिला का विवाह होता है तो ज्यादतर मामलों में महिला का सरनाम हटाकर उसके स्थान पर उसके पति का सरनाम जोड़ दिया जाता है हालांकि अगर कोई महिला चाहे तो अपना खुद का सरनाम भी रख सकती है या अपने पति का और अपना दोनों का सरनाम रख सकती है कानून इसका पूरा अधिकार देता है की महिला जिस सरनाम को अपनाना चाहे उस सरनाम को अपना सकती है.
विवाह के बाद महिला के सरनाम को लेकर किसी भी प्रकार की जबरदस्ती नही की जा सकती अगर उस महिला का पति या उसके ससुराल वाले सरनाम बदलने के लिए दबाव डालते है तो इस स्थिति में वो महिला कोर्ट की मदद ले सकती है और कानूनी रूप से अपनी इच्छानुसार सरनाम रख सकती है इसका महिला को पूरा अधिकार प्राप्त होता है.
कंज्युमेट न होने पर विवाह निरस्त करने का अधिकार
अगर कोई व्यक्ति शादी कर लेता है लेजिन किसी कारणवश वो व्यक्ति अपनी पत्नी के साथ किसी भी प्रकार का शारीरिक सम्बन्ध नही बनाता तो इस स्थिति में वो महिला तलाक के लिए आवेदन कर सकती है और अपने विवाह को निरस्त कर सकती है इस स्थिति में महिला को विवाह निरस्त करने का पूरा अधिकार प्राप्त होता है.
कई मामलों में ऐसा होता है की लड़के का किसी अन्य लड़की के साथ अफेयर होता है या दहेज़ आदि की लालच में लड़का विवाह तो कर लेता है पर पत्नी को वैवाहिक सुख नही दे पाता ऐसे में वो महिला अपने पति के खिलाफ कोर्ट में शिकायत कर सकती है इसके बाद कानूनी रूप से उस महिला का विवाह निरस्त कर दिया जाता है और वो महिला अन्य कही पर भी विवाह करने के लिए कानूनी रूप से स्वतंत्र हो जाती है.
पति की संपत्ति का अधिकार
विवाह के बाद पति की जितनी भी संपत्ति होती है उसके ऊपर पत्नी का पति के बराबर ही अधिकार होता है लेकिन यह अधिकार तभी पत्नी को दिया जाता है जब उसके पति ने खुद की मेहनत से वो संपत्ति बनायीं है अगर किसी व्यक्ति को पूर्वजो से संपत्ति प्राप्त हुई है तो उसके ऊपर उस महिला को सीधा अधिकार नही दिया जा सकता.
अगर किसी कारणवश महिला के तलाक की स्थिति आ जाती है तो इस स्थिति में वो महिला अपने पति की सम्पति की बराबर हकदार होती है और तलाक लेने के बाद वो महिला चाहे तो अपने पति की कुल संपत्ति का आधा हिस्सा कानूनी रूप से प्राप्त कर सकती है इसके लिए उस महिला को कोर्ट का दरवाजा खटखटाना होता है वही से महिला को उसका हक़ दिलवाया जाता है.
एलिमनी एवं मेंटेनेंस का अधिकार
अगर कोई महिला किसी कारणवश अपने पति से तलाक लेती हो तो इसके बाद उस महिला को एलिमनी एवं मेंटेनेंस का अधिकार प्राप्त होता है इसके तहत वो महिला अपने पति से भरण पोषण का मुआवजा प्राप्त कर सकती है यह मुआवजा तभी तक दिया जाता है जब तक की वो महिला किसी दुसरे व्यक्ति के साथ विवाह नही करती.
अगर कोई महिला तलाक के बाद किसी दुसरे व्यक्ति के साथ विवाह कर लेती है तो इसके बाद कानूनी रूप से उस महिला को किसी भी प्रकार का भरण पोषण का मुआवजा या भत्ता पाने का अधिकार नही होगा अगर कोई महिला अपने पति से एलिमनी एवं मेंटेनेंस प्राप्त करना चाहती है तो इसके लिए उस महिला को कोर्ट में केस दायर करना होता है इसके बाद उस महिला को कोर्ट के द्वारा भरण पोषण दिया जाता है.
पति से तलाक लेने का अधिकार
अगर कोई महिला अपने पति से संतुष्ट नही है और वो किसी कारणवश अपने पति से तलाक लेना चाहती है तो वो महिला अपने पति से कानूनी रूप से तलाक ले सकती है इसके लिए कुछ आवश्यक शर्ते रखी गयी है जिसे पूरा करने के बाद ही आप अपने पति को तलाक दे सकती है इसकी शर्ते निम्न प्रकार से है.
- अगर आपका पति बिना किसी वजह के बार बार आपसे लड़ाई झाद्गा करा है.
- अगर आपके पति का अन्य किसी भी महिला के साथ शारीरिक या वैवाहिक सम्बन्ध हो
- अगर आपका पति आपकी मर्जी के खिलाफ धर्म का परिवर्तन कर ले.
- अगर आपका पति पागलपन के दौर से गुजर रहा हो.
- अगर आपके पति कोढ़, छुआछूत या किसी ऐसी बीमारी से ग्रसित हो जिसका कोई इलाज न हो.
- अगर आपका पति आपको शारीरक या मानसिक यातना देता हो.
- अगर आपका पति आपको दहेज़ के लिए प्रताड़ित करता हो.
निम्न प्रकार की स्थिति में आप चाहे तो अपने पति से तलाक के लिए आवेदन कर सकती है इसके लिए आपको कोर्स में जाकर तलाक के लिए आवेदन करना होता है वहां से आपका विवाह निरस्त कर दिया जाता है इसके बाद आप चाहे तो किसी अन्य व्यक्ति के साथ अपनी इच्छा से विवाह कर सकती है.
घरेलु हिंसा के खिलाफ अधिकार
अक्सर ज्यादातर मामलो में महिला घरेलु हिंसा का शिकार होती है अगर किसी भी महिला को घरेलु हिंसा से जुडी समस्या है तो वो इसके खिलाफ शिकायत दर्ज करवा सकती है अगर किसी महिला का पति या उसके ससुराल वाले अथवा उसके कोई सगे सम्बंधित उस महिला के साथ किसी भी प्रकार की हिंसा करते है तो इससे बचने के लिए वो महिला कोर्ट में शिकायत दर्ज करवा सकती है.
जब वो महिला कोर्ट में शिकायत दर्ज करवाती है तो इसके बाद उस महिला की शिकायत पर जाँच शुरू की जाती है अगर उस महिला की शिकायत सही पायी जाती है तो इसके बाद उस महिला के साथ घरेलु हिंसा करने वाले लोगो को कानूनी रूप से सजा दी जाती है या इस स्थिति में वो महिला अपने पति से तलाक भी ले सकती है महिला को इसका पूरा पूरा अधिकार प्राप्त होता है.
प्रेगनेंसी या अबोर्शन का अधिकार
एक विवाहित महिला को प्रेगनेंसी या अबोर्शन का पूरा पूरा अधिकार होता है अगर कोई महिला प्रेगनेंसी रखना चाहे तो वो किसी भी व्यक्ति के दबाव में आये बिना प्रेगनेंसी को रख सकती है इसका उस महिला को पूरा पूरा अधिकार प्राप्त होता है इसके लिए उस महिला को अपने परिवार वालो की साहमति लेने की आवश्यकता नही होती.
अगर कोई विवाहित महिला प्रेग्नेंट है और वो अपना अबाॅर्शन करवाना चाहती है पर उसका पति या उसके ससुराल वाले उस महिला पर अबाॅर्शन न करवाने का दबाव डालते है तो इस स्थिति में वो महिला कोर्ट की मदद ले सकती है और अपना अबाॅर्शन करवा सकती है हालांकि आपको इस बात का ध्यान रखना चाहिए की आप 24 सप्तक से पहले ही अबाॅर्शन करवा सकती है अगर आपका गर्भ 24 सप्ताह से अधिक का है तो कोर्ट आपको अबाॅर्शन की अनुमति नही देता.
अपने पिता की प्रॉपर्टी पर अधिकार
पहले के समय में जब किसी लड़की का विवाह हो जाता था तो इसके बाद उस लड़की को अपने पिता (पीहर पक्ष) की प्रॉपर्टी पर किसी भी प्रकार का अधिकार नहीं दिया जाता था लेकिन हाल में ऐसा नही है अगर आप अपने पति की प्रॉपर्टी पर अधिकार प्राप्त करना करना चाहती है तो इसके लिए आप कानून की मदद ले सकती है या कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकती है.
कानूनी रूप से पिता की संपत्ति पर बेटे का जितना हक़ होता है उतना ही हक़ उसकी बेटी का भी होता है अगर कोई महिला विवाह के बाद अपने पिता की सम्पति से अपना हिसा लेना चाहती है तो वो कभी भी इसके लिए कोर्स में आवेदन कर सकती है इसके बाद कानूनी रूप से उस महिला को अपना हक़ दिलवाया जाता है उसके ऊपर उस महिला के पिता या उसके भाइयों का किसी भी प्रकार से अधिकार नही होगा.
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निष्कर्ष: इस आर्टिकल में हमने आपको पत्नी के अधिकार कौन कौनसे है इसके बारे में जानकारी दी है हमे उम्मीद है आपको हमारी बताई गयी जानकारी उपयोगी लगी होगी अगर आपको जानकारी अच्छी लगे तो इसे सोशल मीडिया पर शेयर जरुर करें और इससे जुडा किसी भी प्रकार का सवाल पूछना चाहे तो आप हमे कमेंट करके भी बता सकते है.