नमस्कार मित्रो आज हम आपको गोत्र क्या होता है और अपनी गोत्र कैसे पता करें इसके बारे में बताने वाले है अक्सर अपनी गोत्र को लेकर कई लोगो के मन में अलग अलग प्रकार के सवाल होते है की गोत्र किसे कहते है एवं यह किसलिए बनाए गयी है तो इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको गोत्र से जुडी बेहद ही खास जानकारी बताने वाले है जिनके बारे में आपको पता होना जरुरी है.
गोत्र को लेकर हर एक व्यक्ति के मन में अलग अलग प्रकार का सवाल होता है कई लोगो को गोत्र के बारे में पर्याप्त जानकारी नही होती लेकिन आपको इससे जुडी जानकारी होनी बेहद ही आवश्यक है अगर आपको गोत्र के बारे में जानकारी नही है तो गोत्र क्या होता है एवं गोत्र कैसे पता करें इस आर्टिकल को ध्यान से पढ़े ताकि आपको इसके बारे में विस्तृत जानकारी पता चल सके.
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गोत्र कैसे पता करें
जाति, धर्म, गोत्र, वर्ण यह सभी चीजे मनुष्य के द्वारा ही बनायीं गयी है एवं हर एक चीज को किसी न किसी ख़ास उद्देश्य से बनाया गया था यह सभी चीजे हजारो लाखो साल पहले बनायी गयी थी जिनका आज भी हम पालन कर रहे है इसका पालन करने का मुख्य उद्देश्य यही होता है की हम अपने स्तर पर मान सम्मान पूर्वक अपना जीवन व्यतीत कर सके एवं जो स्थान हमे अपने पूर्वजो के द्वारा विरासत में मिला है हम उनके नियम कानून को आगे भी पीढ़ी दर पीढ़ी बढ़ा सके.
आपको पता होगा की हमारे देश में समाज को चार वर्णों में बांटा गया है ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शुद्र इन चार वर्णों में बांटे जाने के बाद लोगो के द्वारा अपने वर्ग को लेकर अलग अलग जातियां बनायीं गयी जिसमे ब्राहमण, राजपूत, राजपुरोहित, चारण, कुम्हार, रावना राजपूत, वैष्णव आदि कई प्रकार की जातियां बनाये गयी इसके आधार पर सभी लोगो को अलग अलग जाति और वर्ण में बाँट लिया गया.
जब जाति का का विभाजन है तो इसके बाद अलग अलग गोत्र बनाए गये जिसके द्वारा हर जाति के लोगो को अलग अलग भागो में बांटा गया एवं हाल में हर एक जाति में अलग अलग प्रकार की कई गोत्र होती है इसी गोत्र को ध्यान में रखते हुए किसी भी समाज या जाति में लोगो के विवाह आदि किये जाते है एवं एक गोत्र के पुरुष महिला एक दुसरे के साथ शादी नहीं कर सकते क्युकी एक गोत्र में आने वाले सभी व्यक्ति भाई बहन के रूप में जाने जाते है.
गौत्र की कुलदेवी कौन होते है
अक्सर आपने कई बार देखा होगा की हर एक गौत्र में अलग अलग कुलदेवी होते है जो की उनके इन्ष्ठ देवता के रूप में जाने जाते है एवं हर एक गौत्र में हजारो वर्ष पूर्व हमारे पूर्वजो के द्वारा देवियों को कुलदेवी के रूप में चुना किया है जो गौत्र की रक्षा करते है एवं किसी भी गौत्र के वंश को सुरक्षित रखते है हमारे सभी के गौत्र में कुलदेवी होती है जिनकी हम सैकड़ो वर्षो से पूजा अर्चना करते आ रहे है एवं सभी देवी देवताओं के कुलदेवी हमारे लिए सर्वश्रेस्ट देवी मानी जाती है.
अक्सर कुलदेवी का निवास स्थान सबसे पुराने घर में ही रखा जाता है जिस घर की स्थापना हमारे पूर्वजो के द्वारा की गयी है इसके बाद जैसे जैसे वंश बढ़ते रहता है वैसे वैसे घर भी बढ़ते रहते है लेकिन कुलदेवी का निवास स्थान उसी घर में रहता है कुलदेवी का निवास स्थान कभी भी बदला नही जाता.
हमारी कुलदेवी कौनसी है कैसे पता करें
हाल में कई लोगो को इसके बारे में पता नही होता की उनकी कुलदेवी कौनसी है तो इसके बारे में पता लगाना बेहद ही कठिन कार्य होता है क्युकी कई लोगो के पास कोई सबूत नहीं होता की उनके पूर्वजो ने कौनसी देवी को अपनी कुलदेवी माना था ऐसे में लोगो के लिए कुलदेवी का पता लगाना काफी ज्यादा मुश्किल हो जाता है हालांकि आप अपने बुजुर्ग लोगो से संपर्क करके बातचीत के द्वारा इस बात का पता लगा सकते है की आपकी कुलदेवी कौनसी है.
अगर आपके बुजुर्गो को भी इसके बारे में जानकारी नही है की आपकी कुलदेवी कौनसी है तो ऐसे में आप अपने गौत्र से जुड़े अन्य व्यक्तियों से संपर्क करके जान सकते है की उनकी कुलदेवी कौनसी देवी है व जो कुलदेवी आपकी गौत्र के दुसरे लोगो के होगे वो ही आपके कुलदेवी भी हो सकते है इसकी संभावना काफी ज्यादा होती है लेकिन इसके बारे में सटीक रूप से नही कहा जा सकता की वो आपके भी कुलदेवी हो सकते है.
एक ही गौत्र में विवाह क्यों नहीं होते
आपको पता होगा की कभी भी कोई भी महिला जो एक ही गौत्र के होते है वो एक दुसरे के साथ विवाह नहीं कर सकते क्युकी एक ही गौत्र में आने वाले सभी लोग भाई बहन होते है इस कारण से एक ही गौत्र के लोग एक दुसरे के साथ विवाह नहीं कर सकते अगर कोई पुरुष अपनी जाति में विवाह करता है तो सबसे पहले उसकी गौत्र देखी जाती है एवं अगर लड़की दूसरी गौत्र की हो तभी उन दोनों का विवाह हो सकता है.
सभी वर्ग किस प्रकार से होते है
जैसा की आपको पता होगा की वर्ग चार प्रकार के होते है ब्राहमण, क्षत्रिय, शुद्र, वैश्य इन चारो वर्णों को इनके कार्यो के आधार पर अलग अलग भागो में बांटा गया है एवं पहले के समय में हर व्यक्ति को अपने वर्ण के अनुसार ही कार्य करना होता था ऐसे में आपको पता होना आवश्यक है की कौनसा वर्ण किस प्रकार का होता हैं.
ब्राहमण वर्ण – यह वर्ण सबसे उत्तम वर्ण माना जाता है इनका कार्य पूजा पाठ करना, हवन करना एवं विवाह आदि करवाना होता था इनके सभी कार्य धर्म एवं संस्कृति से जुड़े हुए होते थे.
क्षत्रिय वर्ण – इस वर्ण में राजपूत आदि समाज आती है एवं इस वर्ण का कार्य राज व्यवस्था को संभालना और अपने क्षेत्र की जनता की दुश्मनों से रक्षा करना होता है यह वर्ग राजा महाराजाओं के लिए बनाया गया है इस वर्ण के लोग अपने राज्य के संचालन और सुरक्षा के लिए जिम्मेदार होते है.
वैश्य वर्ण – इस वर्ण के लोगो का कार्य लेखा जोखा रखना एवं आय व्यय की जानकरी रखना, खेतीबाड़ी करना, पशुपालन करना आदि होता है सामान्य रूप से समझे तो इस वर्ण में बनिया आदि वर्ण के लोग आते थे जो आय व्यय की जानकारी रखते थे एवं राजा के द्वारा दिए गये निर्देशों का पालन करते थे इसमें कई प्रकार की अलग अलग जातियां आती थी.
शुद्र वर्ण – इस वर्ण के लोगो को गाँव से बाहर रखा जाता थे इस वर्ण के लोग अपने राज्य के लिए गुप्तचर का कार्य करते थे एवं राज्य के लोगो की रक्षा के लिए कार्य करते थे.
इस प्रकार के चार अलग अलग वर्ण बनाए गये है इन वर्णों में कई प्रकार की अलग अलग जातिया आती है इन सभी जातियों को उनके कर्मो के आधार पर इन वर्णों में बांटा गया है.
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इस आर्टिकल में हमने आपको गोत्र कैसे पता करें इसके बारे में जानकारी दी है हमे उम्मीद है आपको हमारी बताई जानकारी उपयोगी लगी होगी अगर आपको जानकारी अच्छी लगे तो इसे सोशल मीडिया पर शेयर जरुर करें और इससे जुडा किसी भी प्रकार का सवाल पूछना चाहे तो आप हमे कमेंट करके भी बता सकते है.