नमस्कार मित्रो आज हम आपको BIS Full Form in Hindi से जुडी जानकारी देने वाले है अक्सर बार आपने न्यूज या सोशल मीडिया पर BIS के बारे में पढ़ा या सुना होगा लेकिन अधिकांश लोगो को इसकें बारे में अधिक जानकारी नही होती की आखिर यह BIS होता क्या है तो ऐसे में यह आर्टिकल आपके लिए बहुत ही उपयोगी साबित हो सकता है.
हाल में हर एक व्यक्ति को BIS के बारे में पता होना बेहद ही आवश्यक है क्युकी इस प्रकार की जानकारी आपके जीवन में कई प्रकार से उपयोगी साबित हो सकती है अगर आप BIS किसे कहते है और BIS का मुख्य उद्देश्य क्या है इसके बारे में विस्तृत रूप से जानना चाहते है तो BIS Full Form in Hindi आर्टिकल को ध्यान से पढ़े.
MCWG Full Form in Hindi | MCWG क्या होता है | MCWG का महत्व?
BIS Full Form in Hindi
BIS की स्थापना अधिनियम 2016 के अंतर्गत की गयी थी एवं इसकी स्थापन करने का मुख्य उद्देश्य वस्तुओं के मानकीकरण, लेबलिंग और गुणवत्ता प्रमाणन से जुडी गतिविधियों पर नजर रखना और उन्हें सुनिश्चित करना था इसके बारे में अन्य जानकारी बताने से पहले हम आपको इसका पूरा नाम बता रहे है जो की निम्न प्रकार से है.
BIS Full Form : Bureau of Indian Standards
इसे हिंदी में भारतीय मानक ब्यूरो कहा जाता है जो की भारत का राष्ट्रीय मानक मंत्रालय है यह उपभोक्ता मामले, मानक, उत्पाद व प्रणाली के प्रमाणन की योजनाओ से जुड़े कार्यो को संचालित करता है एवं इसके द्वारा प्रोडक्ट्स की क्वालिटी, सेफ्टी और रिलायबिलिटी भी सुनिश्चित की जाती है.
BIS क्या है
BIS की स्थापना 23 दिसंबर 1986 में की गयी थी एवं इसका मुख्यालय मानेक भवन पुरानी दिल्ली में स्थित है इसका मुख्य कार्य भारत सरकार के उपभोक्ता मामले, उत्पाद और मानक प्रणाली का प्रमाणन करने से जुड़ा होता है अगर हम आसान शब्दों में कहे तो यह किसी भी बहुमूल्य वस्तु या धातु आदि की शुद्दता को प्रमाणित करने का कार्य करते है.
जैसे की आप सोना खरीदते है तो आपको पता होगा की उसकी शुद्धता का पता हमे कैरेट से चलता है की वो सोना किस क्वालिटी का है एवं उस सोने की गुणवत्ता कितनी है इसकी जाँच करने का कार्य BIS का होता है इस प्रकार से यह किसी भी चीज की गुणवत्ता पता करते है.
BIS का काम क्या है?
जैसा की आप जानते होगे की किस भी बहुमूल्य वस्तु जैसे सोना, चांदी, हीरा, प्लैटिनम जैसी चीजो की जाँच करने का कार्य इन्ही के द्वारा किया जाता है इसके बाद यह उस धातु की गुणवत्ता के अनुसार उसका प्रमाणीकरण करते है इनके कई अलग अलग प्रकार के कार्य होते है जो निम्न प्रकार से है.
- गुणवत्ता की जांच करना
- मानकों का निर्माण करना
- हॉलमार्क से सम्बंधित
- गुणवत्ता को प्रमाणन करना और नियंत्रण करना
- मानकों की मान्यता के लिए राष्ट्रीय रणनीति तैयार करना
- विदेशी निर्माता प्रमाणन योजना से सम्बंधित
- प्रयोगशाला मान्यता योजना का निर्माण करना
- उपभोक्ताओ की गतिविधियों पर नजर रखना
इस प्रकार से BIS को कई तरह के कार्य करने होते है एवं बहुमूल्य चीजे देश के लिए बेहद ही उपयोगी होती है क्युकी यह देश की अर्थवस्वस्था को बनाये रखने में अपना अहम् योगदान देती है इसलिए इसमें मिलावट होने का खतरा काफी ज्यादा होता है ऐसे में किसी भी बहुमूल्य चीज को मिलावट से बचाने के लिए BIS का गठन किया गया है..
BIS हॉलमार्क क्या है
सोने जैसी चीज को प्रमाणित करने के लिए हॉलमार्क का उपयोगी किया जाता है इसके द्वारा यह प्रमाणित किया जाता है की उस चीज में कितनी मिलावट है या वो चीज कितनी ज्यादा शुद्ध है तो इसके कुछ खास उदहारण हम आपको बता रहे है जो की निम्न प्रकार से है.
- हॉलमार्क अंक 354 है तो इसका अर्थ 35.4% शुद्ध सोना है.
- हॉलमार्क अंक 465 है तो इसका अर्थ 46.5% शुद्ध सोना है.
- हॉलमार्क अंक 580 है तो इसका अर्थ 58.0% शुद्ध सोना है.
- हॉलमार्क अंक 648 है तो इसका अर्थ 64.8% शुद्ध सोना है.
- हॉलमार्क अंक 705 है तो इसका अर्थ 70.5% शुद्ध सोना है.
- हॉलमार्क अंक 836 है तो इसका अर्थ 83.6% शुद्ध सोना है.
- हॉलमार्क अंक 965 है तो इसका अर्थ 96.5% शुद्ध सोना है.
- हॉलमार्क अंक 164 है तो इसका अर्थ 16.4% शुद्ध सोना है.
- हॉलमार्क अंक 264 है तो इसका अर्थ 26.4% शुद्ध सोना है.
- हॉलमार्क अंक 1000 है तो इसका अर्थ 100% शुद्ध सोना है.
इस प्रकार से सोने जैसे बहुमूल्य धातुओ की शुद्धता को हॉलमार्क के द्वारा प्रमाणित किया जाता है एवं ध्यान रखे की हॉलमार्क वाली चीजो को ही महत्त्व दिया जाता है इसलिए कोई भी बहुमूल्य धातु खरीदते वक्त उसके हॉलमार्क का सर्टिफिकेट आदि जरुर प्राप्त कर ले.
बीआईएस सर्टिफिकेट क्या है?
जब भी भारत में विदेश से कोई महँगा धातु आया होता है तो उसे भारत में लाने से पहले उसकी पूरी तरह से जाँच की जाती है जो की BIS के द्वारा होती है एवं उस धातु की जाँच BIS बिना किसी दबाव में आये अपने तरीके से करते है इसके बाद अगर वो धातु शुद्ध और सही पाया जाता है तो उसे देश में लाने के लिए BIS के द्वारा अप्रूवल दिया जाता है.
जब तक BIS का अप्रूवल नही मिलता तब तक किसी भी धातु को देश में नहीं लाया जा सकता एवं जैसे ही इसकी अनुमति मिलती है तो उसे भारत के बाजारों में सप्लाई कर दिया जाता है ध्यान रखे की जब BIS किसी धातु की जाँच करते है तो उस धातु की गुणवत्ता के आधार पर वो इसका सर्टिफिकेट भी बनाते है जिसे बीआईएस सर्टिफिकेट कहा जाता है.
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BIS की स्थापना कब की गयी थी?
BIS की स्थापना 23 दिसंबर 1986 में की गयी थी एवं इसकी स्थापना करने का मुख्य उद्देश्य यही था की देश में महंगे धातुओ की जाँच की जा सके और बहुत्मुल्य धातुओ को मिलावट से बचाया जा सके.
BIS सर्टिफिकेट किसे कहते है?
जब भी BIS किसी धातु की जाँच करता है तो इसके बाद BIS जो परिणाम मिलते है उसके आधार पर यह दस्तावेज तैयार करते है उसी को BIS सर्टिफिकेट कहा जाता है यह धातु की गुणवत्ता पता करने के काम आता है.
BIS के क्या फायदे हैं?
BIS के कई अलग अलग फायदे है यह किसी भी बहुमूल्य धातु में मिलावट होने से बचाव करता है और धातु की जाँच करके उसकी शुद्धता को प्रमाणित करता है जिससे की द्देश की जनता को उचित सामग्री प्राप्त हो सके.
BIS का मुख्यालय कहाँ है
BIS का मुख्यालय भारत में मानेक भवन पुरानी दिल्ली में स्थित है एवं इसके 5 अन्य क्षेत्रीय कार्यालय भी है जो चंडीगढ़, चेन्नई, मुंबई, दिल्ली और कोलकाता शहर में स्थित है.
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इस आर्टिकल में हमने आपको BIS Full Form in Hindi के बारे में जानकारी दी है हमे उम्मीद है आपको हमारी बताई गयी जानकारी उपयोगी लगी होगी अगर आपको जानकारी अच्छी लगे तो इसे सोशल मीडिया पर शेयर जरुर करें और इससे जुडा किसी भी प्रकार का सवाल पूछने के लिए आप हमे कमेंट कर सकते है.